कल शाम..
दौड़ पड़ा मैं
उसके पीछे.
बचपन से देखी है
बदमाशियां उसकी.
हर सुबह..
बत्ती जला देता था
मुझे उठा देता था.
दिन भर..
अम्मा के साथ
गप्पे लड़ाता था.
छत पर बैठा..
कपडे सुखाता था.
शाम होते ही
खिड़की पर
कूद जाता था
और फिर
अचानक..
भाग जाता था.
कल..
पकडा उसे
चौपाटी पर
तो बोला..
'जादू दिखाऊँगा!'
'मैं डूब जाऊँगा'.
पानी में
फिसल गया
बदमाश..
हाथ से
निकल गया.
कल सुबह..
फिर बत्ती जला देगा
मुझे उठा देगा !!
~The Indolent Gulrez.
Sunday, June 21, 2009
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